ऐसा कहा जाता है कि दो सांपों का मिलन (Snakes Mating) दुर्लभ पल होता है, जो आसानी से देखने को नहीं मिलता. वैसे सांपों का मेटिंग पीरियड अप्रैल माह ही होता है. जानकार बताते हैं कि सांपों का मिलन ऐसे स्थान होता है जो हलचल से दूर होता है.
सांप सर्दी में जमीन के अंदर चले जाते हैं और गर्मी आने पर बाहर आ जाते हैं. गुमला प्रखंड के करौंदी गांव में मंगलवार को सांपों के मिलन का दुर्लभ नजारा देखने को मिला. लगभग तीन घंटे तक दो सांप आपस में आलिंगन करते रहे.
ग्रामीणों ने जब इस नजारे को देखा तो मौके पर भीड़ उमड़ पड़ी.अप्रैल के महीने में ही सांप अपना केंचुली उतारते हैं. इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लोगों का मानना है कि सांपों के इस दुर्लभ मिलन के वक्त वहां कोई लाल कपड़ा फेंक दिया जाए,
तो वह पवित्र हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि उस कपड़े को किसी भी कार्य के लिए जाते समय साथ में रखने से सफलता जरूर मिलती है. लोगों की माने तो सांपों का मिलन देखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है
.उधर, जानकार बताते हैं कि प्रजनन के ऋतु के दौरान नर सांप अक्सर अधिक सक्रिय रहते हैं और मादा सांप को ढूंढते फिरते हैं. मादा पर अपना हक जताने के लिए कई बार नर सांपों के बीच युद्ध भी होता है. कई बार इस लड़ाई में एक सांप की मौत भी हो जाती है. प्रजनन काल के दौरान नर सांप सतर्क,
बदमिजाज और चिड़चिड़े होते हैं. इस विशेष अवसर के पूर्व अपनी केंचुली उतारकर वे सजीव व चुस्त बन जाते हैं. दूसरी ओर मादा सांप शांत और सौम्य व्यवहार का प्रदर्शन करती है, जब तक कि कोई नर सांप उस तक नहीं पहुंचता.
उपयुक्त नर के मिलने पर मादा सांप उसे समागम के लिए स्वीकृति प्रदान करती है. सांपों के मिलन की यह क्रिया देखना अपने आप में एक आश्चर्यचकित करने वाली घटना होती है. मिलन के समय नर और मादा सांप को देखकर ऐसा लगता है, मानो वे दो नहीं एक ही हों. जैसे-जैसे मादा चलती है वैसे-वैसे ही नर उसका अनुसरण करता है. इस क्रिया के दौरान नर और मादा सांप धरती से कई फीट ऊपर भी उठ जाते हैं.